कुछ भी करने से पहले थोड़ा सोचें-हिंदी कहानी

हिंदी प्रेणादायक कहानी

एक युवक ने शादी के कुछ साल बाद पिता से कहा कि वह विदेश जाकर व्यापार करना चाहता है।

पिता ने उसकी मंजूरी दे दी। युवक अपने मां बाप और गर्भवती पत्नी को छोड़कर व्यापार करने विदेश चला गया।

उसने विदेश में कड़ी मेहनत की और धन कमाया और वह बहुत अमीर सेठ बन गया। लगभग 15 वर्ष धन कमाने में बीत गए, तो उसे वापस घर लौटने की इच्छा हुई। पत्नी को पत्र लिखकर उसने आने की सूचना दी और जहाज में बैठ गया।

वह सेठ कुछ दिनों बाद अपने नगर पहुंचा। नगर के एक चौराहे पर ही उसने देखा कि एक व्यक्ति एक बोर्ड के साथ खड़ा था। उस बोर्ड पर उसने लिख रखा था- बेशकीमती ज्ञान के सूत्र।

सेठ ने उस व्यक्ति के पास जाकर पता किया तो उसने बताया कि मैं बेशकीमती ज्ञान के सूत्र बेच रहा हूं।

तो सेठ बोला, “ठीक है, एक सूत्र मुझे भी दे दो।”

वह आदमी बोला, “मेरे हर ज्ञान सूत्र की कीमत 100 स्वर्ण मुद्राएं है।”

सेठ को यह सौदा महंगा तो लगा लेकिन उसने एक ज्ञान सूत्र खरीद लिया।

उस व्यक्ति ने सेठ को ज्ञान का सूत्र दिया “कोई भी कार्य करने से पहले 2 मिनट रुक कर सोच लेना।”

सेठ ने वह सूत्र अपनी डायरी में लिख लिया।

सेठ को अपने घर पहुंचते-पहुंचते रात हो गई। सेठ ने सोचा, इतने सालों बाद लौटा हूं, तो क्यों ना, सीधे पत्नी के पास पहुंच कर उसे सरप्राइस दूं।

घर के चौकीदारों को इशारों से अंदर कुछ भी कहने से मना कर दिया। और सीधे पत्नी के कमरे में गया। वहां का नजारा देखकर वह चौक गया।

उसने देखा कि उसकी पत्नी के साथ एक युवक सोया हुआ था। यह देखकर सेठ गुस्से से आगबबूला हो गया।

वह सोचने लगा कि मैं परदेस में उसकी चिंता करता रहा और यह यहा अन्य पुरुष के साथ सो रही हैं। आज मैं इन दोनों को जिंदा नहीं छोडूंगा। वह गुस्से से अपनी तलवार निकाल कर दोनों पर वार करने ही जा रहा था। इतने में उसे 100 स्वर्ण मुद्राओं के बदले जो ज्ञान सूत्र खरीदा था। उसकी याद गई कि “कुछ भी कार्य करने से पहले 2 मिनट सोच ले।”

वह 2 मिनट सोचने के लिए रुका। उसने तलवार वापस पीछे हटाई लेकिन वो किसी बर्तन से टकरा गई।

बर्तन के गिरने की आवाज से पत्नी की नींद खुल गई। आंख खोलते ही उसने अपने सामने अपने पति को देखा, तो वह बहुत खुश हो गई और बोली, “आपके बिना जीवन सुना सुना था। इंतजार में इतने वर्ष कैसे निकले यह मैं हीं जानती हूं।”

पत्नी ने इतना बोलकर पास सोए हुए युवक को उठाते हुए बोली, “बेटा! उठ जा! तेरे पिताजी आए हैं।

युवक उठकर जैसे ही पिता को प्रणाम करने झुका तो माथे की पगड़ी सेठ के पैरों में गिर गई। उसके लंबे लंबे बाल बिखर गए।

सेठ की पत्नी ने कहा, “यह आपकी बेटी है। इसके सम्मान को कोई आंच न आए इसलिए मैंने इसे बचपन से ही पुत्र के समान पालन पोषण और संस्कार दिए हैं।

यह सुनकर सेठ की आंखों से आंसू की धारा बह निकली। उसने पत्नी और बेटी को गले लगा लगा लिया और सोचने लगा। यदि आज मैंने उस ज्ञान सूत्र पर अमल नहीं किया होता तो आवेश में आकर कितना अनर्थ हो जाता। मेरे हाथों से मेरा ही निर्दोष परिवार खत्म हो जाता।

शिक्षा Moral:

दोस्तों इस कहानी से यही शिक्षा मिलती है कि जल्दबाजी में आकर कोई निर्णय न लेवे। क्योंकि जब हम आवेश में होते हैं तो हमें अच्छे बुरे का ख्याल नहीं रहता हैं। इसलिए गुस्सा होने की स्थिति में कोई भी निर्णय ना लें। कुछ देर रुके और दिमाग ठंडा होने दें और फिर सोचे कि क्या सही है, क्या गलत है।

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