पं. श्रीराम शर्मा के अनमोल विचार
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के अनमोल वचन
मनुष्य एक अनगढ़ पत्थर है, जिसे शिक्षा रूपी छेनी ओर हथौड़ी से सुंदर आकृति प्रदान की जा सकती हैं।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
जो शिक्षा मनुष्य को परावलम्बी, अहंकारी और धूर्त बनाती हो, वह शिक्षा, अशिक्षा से भी बुरी है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
जिस शिक्षा में समाज और राष्ट्र के हित की बात नहीं हो, वह सच्ची शिक्षा नहीं कही जा सकती।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
मुस्कुराने की कला दुखों को आधा कर देती है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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अपनी प्रसन्नता को दूसरों की प्रसन्नता में लीन कर देने का नाम ही ‘प्रेम’ है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
फूलों की खुशबू हवा के विपरीत दिशा में नहीं फैलती लेकिन सद्गुणों की कीर्ति दसों दिशाओं में फैलती है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
प्रभावी और सार्थक उपदेश वह होता है जो वाणी से नहीं, अपने आचरण से प्रस्तुत किया जाता है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
मनुष्य अपनी परिस्थितियों का निर्माता खुद ही होता है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
गायत्री परिवार सुविचार
दूसरों के साथ वह व्यवहार मत करो, जो तुम्हें खुद अपने लिए पसन्द नहीं।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
शालीनता बिना मोल मिल जाती है, परन्तु उससे सब कुछ खरीद सकते है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
अपने भाग्य को मनुष्य खुद बनाता है, ईश्वर नहीं।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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मनुष्य की गौरव पूर्ण परिभाषा :-
हमें कोई गुमराह न कर सके, इतना विवेक हो।
हम पर कोई दबाव न डाल सके, इतना आत्मबल हो।
खुद की कृति को प्रामाणिक बना सकें, इतना आत्मविश्वास हो।
अन्याय के विरुद्ध लड़ सकें, इतना हममें शौर्य हो।
अपने आदर्श पथ पर अडिग रह सकें, ऐसी अपनी साधना हो।
पलायन नहीं संघर्ष, बुझदिली नहीं साहस, अकर्मण्यता नहीं शौर्य।
यही मनुष्य की गौरव पूर्ण परिभाषा है।
गलती करना बुरा नहीं है बल्कि गलती को नहीं सुधारना बुरा है
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
मानव का पहला पुरुषार्थ है- जीवन के लक्ष्य में प्रमाद नही करना।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
किसी का आत्मविश्वास जगाना उसके लिए सर्वोत्तम उपहार है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
देश और भविष्य की संभावनाएं देखनी है तो आज के बच्चों के स्तर को देखो।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
Shriram Sharma Acharya Quotes in Hindi
कभी निराश न होने वाला, सच्चा साहसी होता हैं।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
मनुष्य अपने रचयिता की तरह ही सामर्थ्यवान है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
दूसरों को पीड़ा नही देना ही, मानव धर्म है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
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सारी दुनिया का ज्ञान प्राप्त करके भी खुद को ना पहचान पाए तो सारा ज्ञान निरर्थक है
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
शिक्षा वह होती हैं जो हाथों को आजीविका, उपार्जन सिखाएं और मानवीय दायित्वो का निर्वहन करना सिखाएं। जो शिक्षा पेट के लिए गुलामी सिखाएं और मन के लिए विलासिता का आवरण ओढ़ाए तो वह शिक्षा किस काम की?
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
आज का नया दिन हमारे लिए एक अमूल्य अवसर है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
जीवन का हर पल एक उज्ज्वल भविष्य की संभावना को लेकर आता है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
खुद की महान् संभावनाओं पर दृढ़ विश्वास ही सच्ची आस्तिकता है।
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
दोस्तों ये हैं पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के हिंदी कोट्स, अनमोल वचन, सुविचार, प्रेरक कथन। उम्मीद हैं आपको पं. श्रीराम शर्मा आचार्य के अनमोल विचार आपको जरूर पसंद आये होंगे।
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