हिंदी मोटिवेशनल कहानी
गधा और शेर की खाल
एक गांव में एक धोबी था उसके पास एक गधा और कुत्ता था। धोबी ने कुत्ते को घर की रखवाली के लिए रखा था और गधे पर कपड़े ढोया करता था। धोबी इन दोनों का समय से खाना भी दे देता था।
गधे को कुत्ते से जलन होती थी। कुत्ता मन में सोचा करता था कि इस कुत्ते के तो बड़े आराम का काम है और खाना भी आराम से मिल जाता है। जबकि मैं तो दिन रात मेहनत करके भी अपना पेट नहीं भर पाता हूं। इससे तो अच्छा यह होगा कि मैं धोबी के घर से भाग जाऊं। फालतू में इतनी मेहनत यहां करनी पड़ती हैं।
ऐसा सोचकर किसी दिन गधा धोबी के घर से भाग गया।
अब गधा रास्ते में जिस भी खेत में घुसता वहां के रखवाले उसे मारने के लिए दौड़ते हैं। किसी ने भी उसे खेत में चरने के लिए घुसने नहीं दिया।
गधे को रास्ते पर चलते हुए एक मरे हुए शेर की खाल मिल गई। गधे के दिमाग में एक आईडिया आया। उसने उस खाल को ओढ़ लिया और खेतों की तरफ चल दिया।
खेतों के रखवालो ने उसे शेर समझा और उससे डर कर भागने लगे। अब गधा मस्त होकर खेतों में चरने लगा। गधा मन ही मन अपनी चालाकी पर बड़ा खुश हो रहा था। उसे बिना काम किए ही खाना मुफ्त मिल रहा था। इस तरह कुछ दिनों में मोटा ताजा हो गया।
एक दिन गधा किसी खेत पर चर रहा था। उससे कुछ दूरी पर ही किसी दूसरे गधे ने रेंगना शुरू किया। गधा भी अपने जाति भाई को देखकर मस्ती में जोर जोर से रेंगते हुए नाचने लगा। इससे उसके ऊपर की शेर की खाल कुछ खिसक गई।
एक शेर से गधे की आवाज सुनकर ग्रामीणों को ताज्जुब हुआ। लेकिन गौर से देखने पर पता चला कि ये तो गधा है, जिसने शेर की खाल ओढ़ रखी हैं। अब ग्रामीण लठ लेकर आए।
गधा तो अपनी मस्ती में मस्त था। तो उसे ग्रामीणों के आने का पता नहीं चला।
अब गधे की सुताई चालू हुई। ग्रामीणों ने उसे इतना पीटा कि उसको अधमरा कर दिया।
थोड़ी देर बाद गधे को होश आया तो वह अपनी भूल का पश्चाताप करने लगा। वो वापिस लंगड़ता हुआ धोबी के घर चला गया।
बाहर कुत्ता बैठा था। कुत्ते ने गधे कि यह हालत देखकर पूछा,”तुम्हारी यह हालत कैसे हुई?”
गधे ने अपनी सारी कहानी कुत्ते को सुनाई।
कुत्ता बोला, “केवल शेर की खाल पहनने से कोई शेर नहीं बन सकता। शेर बनने के लिये हिम्मत, बहादुरी और उतना बल होना चाहिये। तुम्हे मुफ्त के चक्कर में नहीं पड़ना हैं। कभी किसी को धोखा नही देना हैं। इस संसार में मेहनत करके खाने वाला ही सुखी हैं। तुम भी मेहनत करके खाते तो तुम्हारी आज यह हालत नहीं होती।”
गधा अब कुत्ते की बात समझ चुका था। मेहनत करके ही खाने लगा।
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