जन्माष्टमी स्पेशल: श्रीकृष्णा के सर्वश्रेष्ठ 24 अनमोल वचन

भगवान् श्रीकृष्ण के धाकड़ सुविचार – Lord Shree Krishna Quotes in Hindi

भगवान् श्रीकृष्ण के धाकड़ सुविचार

हैप्पी जन्माष्टमी-जन्माष्टमी की शुभकामनाएं

सदैव संदेह करनेवाले व्यक्ति के लिए खुशी ना तो इस धरती पर हैं ना ही कही ओर जगह।

श्री कृष्ण

अपना-पराया, ऊंच-नीच, मेरा-तुम्हारा ये सब अपने मन से हटा दो, और फिर देखो यह सब तुम्हारा हैं और तुम सबके हो।

श्री कृष्ण

मनुष्य अपने विश्वास से बनता है, जैसा वो विश्वास करता है वैसा बन जाता है।

श्री कृष्ण

आत्मा पुराने शरीर को ठीक उसी प्रकार त्याग देती है, जिस प्रकार मनुष्य अपने पुराने वस्त्रो को त्याग कर नए वस्त्रो धारण कर लेता है।

श्री कृष्ण

परिवर्तन ही इस दुनिया का नियम है, कल जो किसी और का था आज वो तुम्हारा हैं एवं कल वो किसी और का होगा।

श्री कृष्ण

आनंद बस मन की एक अवस्था है जिसका बाहरी दुनिया से कोई लेना देना नहीं है।

श्री कृष्ण

जिनके नियंत्रण में अपना मन नहीं होता है उनके लिए वो शत्रु के समान कार्य करता हैँ।

श्री कृष्ण

भगवान् श्रीकृष्ण के अनमोल विचार

आपका मन आपका शत्रु भी बन सकता है और मित्र भी बन सकता है।

श्री कृष्ण

सुख का राज कम इच्छाये रखने में है।

श्री कृष्ण

मन चंचल होता हैं और इसे नियंत्रित करना कठिन हैं, लेकिन निरंतर अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता हैं।

श्री कृष्ण

अगर आप अपना लक्ष्य पाने में असफल हो जाते हो तो अपनी रणनीति बदले, लक्ष्य नही।

श्री कृष्ण

आत्मा न तो जन्म लेती है न कभी मरती है और ना ही इसे कभी जलाया जा सकता है, ना ही इसे पानी से गीला किया जा सकता है, आत्मा अजर, अमर और अविनाशी है।

श्री कृष्ण

अपने कार्यो को पूरा करो क्योंकि कार्य करना संपूर्ण निष्क्रियता से बेहतर है।

श्री कृष्ण

नर्क के 4 द्वार हैं: क्रोध, मोह, लोभ और अहंकार

श्री कृष्ण

अपने कर्म का फल व्यक्ति को ठीक उसी तरह ढूंढ लेता है, जैसे कोई बछड़ा हजारों गायों के बीच अपनी मां को ढूंढ लेता है।

श्री कृष्ण

तू करता वही हैं जो तू चाहता है। होता वही है जो मैं चाहता हूं। तो वही कर जो मैं चाहता हूं। फिर होगा वही, जो तू जा चाहता है।

श्री कृष्ण

प्रेम में कोई भी वियोग नहीं है, प्रेम ही अंतिम योग(मिलन) हैं।

श्री कृष्ण

दिव्यता शक्तिशाली होने में नहीं हैं। दिव्यता दुसरो में शक्ति जागृत करने में हैं।

श्री कृष्ण

बुरे काम करने नहीं पड़ते, हो जाते हैं। अच्छे काम होते नहीं, करने पड़ते है।

श्री कृष्ण

मैं किसी के भाग्य का निर्माण नहीं करता, ना ही किसी के कर्मों का फल देता हूं। व्यक्ति या जीव के कर्म ही उसके भाग्य का निर्माण करते हैं और उसके अनुसार उनको फल मिलता है।

श्री कृष्ण

वर्तमान परिस्थिति में तुम्हारा कर्तव्य ही तुम्हारा धर्म हैं।

श्री कृष्ण

धर्म युद्ध में जो व्यक्ति धर्म के साथ नहीं खड़ा है इसका मतलब है कि वह अधर्म का साथ दे रहा है।

श्री कृष्ण

अपने मन को अभ्यास के द्वारा वश में किया जा सकता है।

श्री कृष्ण

जो व्यक्ति दूसरों पर शक करता रहता है उसे कहीं भी खुशी नहीं मिलती है।

श्री कृष्ण

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