भाग्य से बड़ा पुरुषार्थ हैं Hard Work Is Key To Success

Life Changing Motivational Story in Hindi

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हिंदी प्रेरणादायक कहानी

राजा विक्रमादित्य के पास एक ज्योतिष आया। उसने जब विक्रमादित्य का हाथ देखा तो उसका माथा ठनक गया। उसने सोचा की हाथ की लकीरो के अनुसार तो राजा को दीन, दुर्बल और कंगाल होना चाहिए था, लेकिन वह तो सम्राट है, और स्वथ्य भी है। ऐसे लक्षणों को विपरीत स्थिति उसने पहली बार देखी।

ज्योतिषी की यह दशा देखकर विक्रमादित्य उसकी मानसिक स्थिति समझ गए और बोले, “बाहरी लक्षणों से यदि आपको संतुष्टि न मिलीं हो तो छाती चीरकर दिखाता हु, भीतर के लक्षण भी देख लीजिये।”

तब ज्योतिषी बोला-” नहीं महाराज! मैं समझ गया हु कि

आप निर्भीक हैं, पुरुषार्थी हैं, आपमें पूरी क्षमता हैं। इसलिए आपने विपरीत परिस्थितियों को भी अपना बना लिया हैं और अपने भाग्य को बदल लिया हैं। आज मेरे को यह बात समझ में आ गयी कि यदि मनुष्य में पुरुषार्थ हो, तो वह अपने भाग्य कि लकीरो को भी बदलने का सामर्थ रखता हैं।

Moral:
भाग्य के भरोसे बैठकर ये सोचना ठीक नहीं हैं कि जो भाग्य में होगा मिल जायेगा। आपको पुरुषार्थ करना ही होगा, वरना फिर आपके पास भाग्य को कोसने के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा।

जो मनुष्य अपनी सीमित बुद्धि के द्वारा ये मान लेता हैं कि मेरे किस्मत में तो धन दौलत नहीं लिखी हैं या फिर मेरा स्वस्थ्य कभी ठीक नहीं हो सकता हैं और कभी वर्तमान परिस्थिति से छुटकारा पाने की कोशिश भी नहीं करता हैं, तो वो हमेशा उसी परिस्थिति में दीन, दुखी और दुर्बल बना रहेगा।

और अगर वो ठान ले कि उसे इन हालातो को बदलना ही है, और जम कर पुरुषार्थ (मेहनत) करे, तो उसकी ये दृढ़ इच्छा शक्ति विपरीत हालातो को भी अपने अनुकूल बना लेता हैं।

तो दोस्तों हम आज जो कुछ भी हैं अपने विचारो के कारण हैं। अपने विचारो को सकारात्मक बनाकर अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बना सकते हो।

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