गणपति के हर अंग की विशेषता-गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं
गणपति आदिदेव हैं जिन्होंने हर युग में अलग अवतार लिया। उनकी शारीरिक संरचना में भी विशिष्ट व गहरा अर्थ छुपा हुआ है। शिवमानस पूजा में श्री गणेश को प्रणव (ॐ) कहा गया है। इस एकाक्षर ब्रह्म में ऊपर वाला भाग गणेश का मस्तक, नीचे का भाग उदर, चंद्रबिंदु लड्डू और मात्रा सूँड है।
तो आज उनके पुरे शरीर की विशेषताओं के बारे में जानते हैं और उन्हें अपने जीवन में उतारने की कोशिश करेंगे:
गणेश जी की छोटी आँखे
छोटी-पैनी आँखें सूक्ष्म-तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं। छोटी आँखे हमे ये शिक्षा देती हैं की हमे देख परख कर सूक्ष्मता से कोई भी निर्णय लेने चाहिए। हमे दूरदृष्टि रखने की आवश्यकता हैं। इससे हम आने वाले समय में किसी भी समस्या से बच सकते हैं।
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गणेश जी के लम्बे-चौड़े कान
गणेश जी के कान काफी बड़े-बड़े हैं। बड़े कान अधिक ग्राह्यशक्ति का प्रतीक हैं यानि की हमे हर एक की बात को सतर्क होकर ध्यान से सुनना चाहिए और सोच समझ कर ही किसी कि सलाह को जीवन में अपनाना चाहिए।
हमे काम की बातो पर ही ध्यान देकर व्यर्थ की बातो को अनसुना कर देनी चाहिए।
गणेश जी की लम्बी सूंड
उनकी लंबी सूंड महाबुद्धित्व का प्रतीक है। लम्बी सूंड इस पैट का प्रतीक हैं कि घर परिवार के पालन पोषण के लिए हमे सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिए। कोई भी समस्या से आ जाये संघर्ष जरूर करना चाहिए।
गणेश जी का बड़ा मस्तक
गणेश जी का मस्तक बड़ा हैं। वो बहुत ही कुशल नेतृत्व करने वाले हैं। बड़ा सिर ये भी शिक्षा देता हैं की अपनी सोच को हमेशा बड़ा बनाये रखे।
गणेश की चार भुजाये
चारों दिशाओं में सर्वव्यापकता की प्रतीक उनकी चार भुजाएँ हैं। हमे भी अपने आपको हर अच्छा काम करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
गणेश जी का उदर (लंबोदर)
वे लंबोदर हैं क्योंकि समस्त चराचर सृष्टि उनके उदर में विचरती है। यानि की हम जो भी बाते सुने उन्हें हम अपने पेट में ही रखे। इधर की उधर और उधर की इधर करने से लड़ाई झगड़े हो जाते हैं। गणेश जी का बड़ा उदार हमे बुरी और नकारात्मक बातो को पचने का प्रतीक हैं।
गणेश जी एकदन्त है
गणेश जी के एक दन्त हैं। एकदन्त एकता का प्रतीक हैं। और दन्त सबसे मजबूत भी होता हैं। तो ये हमे एकता और बलशलिता का सन्देश देता हैं।
गणेश जी का वाहन मूषक(चूहा)
चूहा हर चीज़ को कुतर देता हैं, और ख़राब कर देता हैं। दुष्ट लोगो की प्रकृति भी कुछ ऐसी ही होती हैं, व्यर्थ के काम और बाते करते हैं और हर चीज़ को खराब कर देते हैं।
गणेश जी ने चूहे को दबा के रखा हे और उसे अपने अनुसार चलाते हैं। उसी प्रकार इंसान को भी बुद्धिमान और शक्तिशाली होना चाहिए, ताकि वह दुष्ट लोगो को मनमानी नहीं करने दे।
गणेश जी का विशालकाय शरीर
गणेश जी का विशालकाय शरीर होने के बावजूद शांत और अपने आप में मस्त रहते हैं। अपनी ऊर्जा और शक्ति को समय आने पर इस्तेमाल करते हैं। ये इस बात का प्रतीक हैं कि मनुष्य को भी अपनी ऊर्जा और शक्ति का व्यर्थ नाश नहीं करना चाहिए। लेकिन जब समय आये तो उनका बेहतर इस्तेमाल करे।
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